हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमतें तय की जाती हैं, और इस बार भी ऑयल कंपनियों ने अपने खर्च और महंगाई को ध्यान में रखते हुए 19 किलो वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दाम में वृद्धि की है। हालांकि, घरेलू उपयोग में आने वाले 14.2 किलो वाले रसोई गैस सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आईओसीएल की वेबसाइट के अनुसार, 1 नवंबर 2024 से नए रेट्स लागू कर दिए गए हैं।
दिल्ली में 19 किलो एलपीजी सिलेंडर के दाम में वृद्धि
इस बार दिल्ली में 19 किलो वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर का दाम ₹1740 से बढ़कर ₹1802 हो गया है। यह वृद्धि ₹62 की है और इसका असर मुख्य रूप से उन व्यापारियों पर पड़ेगा जो इस सिलेंडर का उपयोग करते हैं।
अन्य शहरों में 19 किलो एलपीजी सिलेंडर के दाम
दिल्ली के अलावा अन्य शहरों में भी 19 किलो के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी हुई है।
- कोलकाता: यहां यह सिलेंडर अब ₹1850.50 से बढ़कर ₹1911.50 का हो गया है।
- मुंबई: मुंबई में इसका दाम ₹1692.50 से बढ़कर ₹1754 हो गया है।
- चेन्नई: चेन्नई में सिलेंडर का दाम ₹1903 से बढ़कर ₹1964 हो गया है।
इस वृद्धि का प्रभाव होटल, रेस्टोरेंट्स और छोटे व्यवसायों पर पड़ेगा जो रोजमर्रा के कामों में कमर्शियल सिलेंडर का उपयोग करते हैं।
घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं
अच्छी खबर यह है कि 14.2 किलो वाले घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पिछले कुछ महीनों से घरेलू सिलेंडर की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
- दिल्ली: ₹803
- कोलकाता: ₹829
- मुंबई: ₹802.50
- चेन्नई: ₹818.50
अगस्त 2024 से घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जो आम ग्राहकों के लिए राहत की बात है। इसके अलावा, उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए दिल्ली में घरेलू सिलेंडर का दाम ₹603 है, क्योंकि सरकार ने अगस्त 2023 में रसोई गैस सिलेंडर के दामों में ₹100 की कटौती की थी।
अक्टूबर और सितंबर में भी बढ़े थे कमर्शियल सिलेंडर के दाम
यह पहली बार नहीं है कि कमर्शियल सिलेंडर के दामों में वृद्धि हुई है। अक्टूबर 2024 में भी 19 किलो के एलपीजी कॉमर्शियल सिलेंडर के दाम में बढ़ोतरी की गई थी। तब दिल्ली में यह सिलेंडर ₹50 बढ़कर ₹1740 का हो गया था। इससे पहले सितंबर में भी सिलेंडर के दाम लगभग ₹39 बढ़े थे।
क्यों बढ़ रहे हैं एलपीजी के दाम?
एलपीजी सिलेंडर के दाम मुख्य रूप से ऑयल कंपनियों के खर्च, उत्पादन लागत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करते हैं। भारत में गैस की कीमतें हर महीने के पहले दिन निर्धारित की जाती हैं, जिसमें महंगाई और उत्पादन लागत को ध्यान में रखा जाता है। कमर्शियल सिलेंडर के दाम में वृद्धि का मुख्य कारण व्यवसायिक मांग में इजाफा और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी है।
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए राहत
हालांकि कमर्शियल सिलेंडर के दाम में वृद्धि हुई है, घरेलू उपभोक्ताओं को राहत दी गई है। पिछले कुछ महीनों से घरेलू सिलेंडर की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं और अगस्त में उज्ज्वला योजना के तहत भी ग्राहकों को रियायत दी गई थी। सरकार की इस योजना का उद्देश्य गरीब परिवारों को रसोई गैस उपलब्ध कराना और उनके दैनिक खर्च में कटौती करना है।
कमर्शियल सिलेंडर की बढ़ती कीमतों का असर
कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में वृद्धि का असर मुख्य रूप से उन उद्योगों पर पड़ता है जो इस गैस का उपयोग करते हैं, जैसे होटल, रेस्टोरेंट, और छोटे व्यवसाय। इन व्यवसायों की रोजमर्रा की गतिविधियों में सिलेंडर का उपयोग होता है और बढ़ी हुई कीमतें उनके संचालन लागत में इजाफा करती हैं।
एलपीजी गैस की कीमतें कैसे तय होती हैं?
भारत में एलपीजी की कीमतें हर महीने की पहली तारीख को तय होती हैं। ऑयल कंपनियां अपने संचालन खर्च, उत्पादन लागत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर गैस की कीमतें तय करती हैं। कमर्शियल और घरेलू सिलेंडर की कीमतें अलग-अलग होती हैं, और इन दोनों के दामों में बदलाव कई कारकों पर निर्भर करता है।
आम लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
जहां एक ओर घरेलू सिलेंडर के दाम स्थिर हैं, वहीं कमर्शियल सिलेंडर की बढ़ती कीमतें व्यापारियों और छोटे व्यवसायों के लिए चिंता का विषय हैं। इसके कारण रेस्टोरेंट और होटल जैसे व्यवसायों में खाने-पीने के सामान की कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है, जो आम लोगों के बजट पर असर डाल सकता है।
हर महीने की पहली तारीख को एलपीजी सिलेंडर की कीमतें बदलती हैं, और इस बार कमर्शियल सिलेंडर के दाम में इजाफा हुआ है। दिल्ली में 19 किलो वाले एलपीजी सिलेंडर का दाम ₹1802 हो गया है, जबकि घरेलू सिलेंडर की कीमतें स्थिर हैं। यह वृद्धि उन लोगों के लिए चिंता का विषय है जो कमर्शियल सिलेंडर का उपयोग करते हैं। वहीं, घरेलू उपभोक्ताओं के लिए स्थिर कीमतें राहत देने वाली हैं। एलपीजी की कीमतों में ऐसे बदलाव हमें इस बात का एहसास दिलाते हैं कि रोजमर्रा की चीजों पर वैश्विक और आंतरिक आर्थिक स्थितियों का कितना असर पड़ता है।